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Showing posts from February, 2024

अध जल गगरी छलकत जाए - लेख #Loyalty

Watch The Video Here  - https://youtu.be/DCo96HkSHm0?si=oYVRoYBeXEW9JaDC क्या कहूं..क्या ही कहा जाए..कुछ भी कहने या धारणा बना लेने से पहले दोनों पक्षों को सुनिए (पहले ये वीडियो पूरा देख लीजिए)।  अक्सर होता क्या है की एक तरफा बात सुनके धारणा बनाने वाले 'कंधे' दूसरे पक्ष को सुने बगैर स्त्री-पुरुष और बेचारगी को सिर्फ एक तरफ (ज्यादातर महिलाओं के पक्ष में – जबकि अगर आप समानता को सच में मानते हैं तो बराबर होना चाहिए) का पूरा सच मानकर modern judgement पास करने लगते हैं। खेल सामने वाले की नीयत का खेल भी तो हो सकता है।  डिग्री वाले अनपढ़ सिर्फ एक प्रमुख लिंग-विशेष के हैं इसलिए सही हैं अगर ये मानकर judgement देने हैं तो समानता का रोना गाना बेमानी है।  सुनिए...गढ़िए...समझिए..फिर धारणा बनाइए एक बात और सिर्फ क्योंकि कोई इंसान (महिला और पुरुष या अन्य लिंग कोई भी) शादीशुदा 'था' या उसका कोई रिश्ता था जो खराब निकला तो क्या उस इंसान को अपनी सहूलियत और ज़रूरत के हिसाब से पहले सही और मतलब निकल जाने पर गलत कहकर अपना गंद छुपाया जायेगा?  सबसे ज्यादा आश्चर्य इस पर होता है क...

उसे सबका होना है - शायरी

वो खोजती है हर शक्स में मुझको जो सबकी हो जाए मैं उसका हो नहीं सकता - राहुल अभुआ  #hindikavita #poetry #loyalty #love #cheating #quotes #mainshunyahisahi #relationships 

सबको बना ना सकोगी - राहुल अभुआ

जिस्म कई मिलेंगे रूह पा ना सकोगी कितनो को आजमाओगी सबको बना ना सकोगी सीना ढलने लगेगा दरारें जांघों में होंगी इश्क़ की 'नीतीश' हो जाओगी पर किसी से निभा ना सकोगी बिस्तर सूना भी होगा शामें काली भी होंगी 'कंधे' साथ ना देंगे तन्हाई में रो ना सकोगी हर इक रिश्ता काफ़िर सही मैं अकेली सभी को ये झूठी कहानी सुना ना सकोगी जिस्म कई मिलेंगे रूह पा ना सकोगी कितनो को आजमाओगी सबको बना ना सकोगी - राहुल अभुआ  #loyalty #relationship #love #cheating #toxic #lies #mainshunyahisahi #rahulabhua 

हवस आपको अपाहिज बनाती है - राहुल अभुआ

Valentines special 🚩🤙🤙 #cheating #loyalty #poetry #love #relationship #prem 

खुद की खोज में जाने वालों - राहुल अभुआ | कविता

खुद की खोज में जो निकले वो मजे उड़ाएं अय्याशी में दिखावे करते दिन-शाम-रात बेहोश बड़े बद-हवासी में सिद्धार्थ जो खोजे बुद्ध हुए वर्धमान महावीर कहलाए ये हवस, धुआं और फरेब लिए तुम खोजो खुद को बाज़ारों में क्यूं खोज खुद की में निकले तुम बैठो, सोचो, आंखें खोलो जो पाना सच में खुद को है इक बार तो खुद से सच बोलो ओ, खुद की खोज में जाने वालो जानो.. प्यार नहीं अय्यारी* में खुद की खोज में जो निकले वो मजे उड़ाएं अय्याशी में.. - राहुल अभुआ | (किताब - मैं शून्य ही सही) (*अय्यारी – छल, धूर्तता, वेश बदलकर काम निकालना)

Publicity और Likes के भूखे लोग #CancerAwareness

भई इन पब्लिसिटी के भूखों का क्या ही किया जाए? Likes के भूखे ये narcissist लोग पब्लिसिटी और लोगो की good-books में बने रहने के लिए अपनी मौत तक ड्रामा बना रहे हैं। इसीलिए मुझे लगता है की भारत में इंटरनेट सस्ता नहीं होना चाहिए, कैंसर का मज़ाक बना कर रख दिया है इस दीदी ने (नाम मेंशन नहीं करूंगा और आपको भी नहीं करना चाहिए क्योंकि उसे यही चाहिए था)  लोग अभिनेता, जर्नलिस्ट, डॉक्टर, वकील जब बन रहे होते हैं तो बड़ी-बड़ी बातें करते हैं की हम बदलाव लाएंगे और बन जाने के बाद अपनी औकात भूलने लगते हैं। वो जो खुद को influencers दिखाते थे बाद में social-media पर नंगपना करके likes बटोरते हैं ताकि followers उन्हे कूल समझे।  आज़ादी का मतलब ये नहीं की रोड पर नंगे घूमोगे और कहोगे की संविधान में आज़ादी हमारा अधिकार है। नशा उतरे तो समझना, तुम्हारी social media पर की जाने वाली हरकते तुम्हारे followers को inspire करती है या नहीं? और तुम्हारे छपरी दोस्तों के बारे में तो कहा ही क्या जाए। Cancer awareness के नाम पर जो किया गया बहुत छिछले दर्जे का था, जिन्होंने cancer की वजह से अपने परिवार वालो को खोया उनस...

तुम्हारे नाम सखी - लेख

'प्रिया ने मुझे बहुत झेला है..सब कुछ उसके नाम.." - पियूष मिश्रा सर ने अपनी प्रिया के लिए इस caption के साथ में ये बेइंतेहा खूबसूरत वीडियो पोस्ट किया है। क्या ऐसे साथी होते हैं? अब? जो तब साथ हो जब हर परिस्तिथि आपको प्यार के खिलाफ कर रही हो, जब आपकी अना से ज़्यादा प्यार, प्यार और सिर्फ सही प्यार की value ज़्यादा हो, जब दिखावा नहीं साथ ज़रूरी हो, जब दिखावटी दोस्तों और कंधो की केयर में दिमाग, जिस्म और दिल न बदले, जब उतार-चढ़ाव से घबराकर भागने की बजाये आप अपने प्रेमी संग डट कर खड़े हो, सब दिन एक जैसे चाहिए (बिना उतार–चढ़ाव वाले) तो प्रेम नहीं कुछ और कीजिए जिसमें 'मुनाफा' बना रहे। क्या ऐसे साथी होते हैं? अब? होते होंगे..अब तो ज़माना Red Flag , Green Flag, toxicity, woke-culture का है (सभी के लिए नहीं सिर्फ उनके लिए जो इसे अपनी सहूलियत के हिसाब से (एक के बाद दूसरे पार्टनर के खिलाफ) सिर्फ इसलिए इस्तेमाल करते हैं ताकि कहीं से किसी नई ओर जाना हो) जबतक पार्टी में आपके हाथ में मदिरा का ग्लास ना हो (मैं ये साफ कर दूं की मैं आपसे पूरी तरह इत्तेफ़ाक रखता हूं की शराब पीना, गुटका खाना बिल्क...