क्या कहूं..क्या ही कहा जाए..कुछ भी कहने या धारणा बना लेने से पहले दोनों पक्षों को सुनिए (पहले ये वीडियो पूरा देख लीजिए)।
अक्सर होता क्या है की एक तरफा बात सुनके धारणा बनाने वाले 'कंधे' दूसरे पक्ष को सुने बगैर स्त्री-पुरुष और बेचारगी को सिर्फ एक तरफ (ज्यादातर महिलाओं के पक्ष में – जबकि अगर आप समानता को सच में मानते हैं तो बराबर होना चाहिए) का पूरा सच मानकर modern judgement पास करने लगते हैं। खेल सामने वाले की नीयत का खेल भी तो हो सकता है।
डिग्री वाले अनपढ़ सिर्फ एक प्रमुख लिंग-विशेष के हैं इसलिए सही हैं अगर ये मानकर judgement देने हैं तो समानता का रोना गाना बेमानी है।
सुनिए...गढ़िए...समझिए..फिर धारणा बनाइए
एक बात और सिर्फ क्योंकि कोई इंसान (महिला और पुरुष या अन्य लिंग कोई भी) शादीशुदा 'था' या उसका कोई रिश्ता था जो खराब निकला तो क्या उस इंसान को अपनी सहूलियत और ज़रूरत के हिसाब से पहले सही और मतलब निकल जाने पर गलत कहकर अपना गंद छुपाया जायेगा?
सबसे ज्यादा आश्चर्य इस पर होता है की ये लोग समाज को बदलने का दावा करते हुए खुद को modern जताते हुए इंसानियत पर बात करते हैं।
अब इधर देखिए, नीतीश जी का ये पर्सनल मामला है और जो लोग उन्हें जानते समझते हैं वो लोग भी एक तरफा बाते सुनकर उनके खिलाफ comments पास कर रहे हैं और आज उन्हे अपना पक्ष रखने के लिए सामने आना ही पड़ा।
तो बात सीधी है यदि सामने वाला चुप रहे तो उसे गलत माना जाना नई बात नहीं लेकिन खुद का पक्ष रखने की दिक्कत ये होती है की डिग्री वाले अनपढ़ और उनके नए कंधे उसमे स्त्री-पुरुष देखकर सही गलत चुनते हैं।
लोगों के फूहड़ कमेंट्स –
– अरे भगवान कृष्ण का विवाह नहीं चला ये वो फलाना ढिकाना
ऐसी छिछली बातें की क्या ही कहा जाए।
रिश्ते नहीं चले तो उसमे ये सब कैसे कहा जा सकता है?
जब रिश्ता चाहिए था तो खुद से promises करना और उस आधार पर रिश्ता सालों चलाना और फिर उससे निकलने के लिए सबकुछ सामने वाले पर मढ देना कहां तक सही है? भगवान बुद्ध भी समझा कर गए थे ताली एक हाथ से नहीं बजती लेकिन डिग्री वाले अनपढ़ और उनके कंधों की माने तो शायद महात्मा बुद्ध गलत थे और इनके यहां ताली एक हाथ से बज जाती है।
जाने माने 'जर्नलिस्ट' जिन्हें अब घमंड है की बड़े बड़े लोग उन्हें जानते हैं उनसे गुजारिश है की सबको कानून सिखाने वाले आप से अनुरोध है कृपया करके बाकी समाज को तो न्याय दिलवाना छोड़िए आप बस नीतीश जी का ही divorce अपने ‘बड़े लोगों’ से कहकर 6 महीनों में करवा दीजिए आपका बहुत उपकार होगा। 🙏
बेहद आसान है कंधों की गोद में बैठकर मदिरा में धुत्त हो जाने के बाद समाज को बदलने बड़ी बड़ी बातें करना, जब सहूलियत के हिसाब से अगर बदलना ही है तो फिर सहूलियत बदलेगी...ये सहूलियत बदलना निरंतर चलता आ रहा है।
षडयंत्र यहीं रह जायेंगे 🤙🤙🤙
#BeLogical #Equality #loyalty #Modernism #reality
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