जिस्म कई मिलेंगे
रूह पा ना सकोगी
कितनो को आजमाओगी
सबको बना ना सकोगी
सीना ढलने लगेगा
दरारें जांघों में होंगी
इश्क़ की 'नीतीश' हो जाओगी
पर किसी से निभा ना सकोगी
बिस्तर सूना भी होगा
शामें काली भी होंगी
'कंधे' साथ ना देंगे
तन्हाई में रो ना सकोगी
हर इक रिश्ता काफ़िर
सही मैं अकेली
सभी को ये झूठी कहानी
सुना ना सकोगी
जिस्म कई मिलेंगे
रूह पा ना सकोगी
कितनो को आजमाओगी
सबको बना ना सकोगी
- राहुल अभुआ
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