सुनो, वो लड़की है किधर? जो शराब के प्याले चियर्स कर रातों को देश बचाने जाती थी फिर नशा उतरते ही ख़ुद को ख़ाली बंजर जो पाती थी जो झूठ ओढ़ हर मैल लिए Women power चिल्लाती थी जो एक जगह से दूजी जगह बस मन बहलाने जाती थी जो छल्ले बना, कई बाहों में Freedom का गाना गाती थी जो हाथ जोड़ और नाक रगड़ तुम्हे अपना बनाना चाहती थी फिर यार नए संग अपनी हर पहचान मिटाना चाहती थी जो कहकर ख़ुद को आज़ाद रूह हर जिस्म को पाना चाहती थी अपने दिल का सब ख़ालीपन Insta पे छुपाना चाहती थी वो है कहाँ अब खोजो तो निर्भया, साक्षी और कइयों को जो न्याय दिलवा दिया हो तो अमाँ, अब कोई उसको पूछो तो हाँ वो, ख़ाली कुर्सी, सुनसान सड़क अब ढूँढों उसे वो गई किधर है कहाँ अभी वो शाम सहर सुनो, वो लड़की अब है किधर? - राहुल अभुआ | (किताब: मैं शून्य ही सही)