रात की चाहत होती है माथे का चुम्बन
जो हल्की आंच की तरह जलते बदन का सहारा हो सारी रात,
उजले दिन को चाहिए होती है छुहन हाथों की
जैसे पानी पर लिखावट की तासीर खो जाती है
वैसे ही खो जाते हैं उजले दिन, महकती शामें और सर्द रातें
जो नहीं खोते वो हैं -
माथे का चुम्बन, हाथों की गर्म छुहन और रातों को जागकर देखे सितारे
- राहुल अभुआ
#romance #love #poetry #mainshunyahisahi #rahulabhua #kavitaye

Comments
Post a Comment