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Showing posts from June, 2022

आशियाना

हम तुम दोनों दूर चलेंगे सब शहरों से दूर, सब गाँवों से दूर अपना आशियाना बसाएंगे अम्बर छूती छत होगी..बादलों की रेशम-सी सुंदर फ़र्श..माटी की सूरज से लेंगे मोल उजाला चंदा को कहेंगे दिन ढलने पे आना बिस्लेरी नहीं झरनों का पानी पियेंगें अंधकार होगा तो ही तो तारे दिखेंगे दरख्तों पर हम झूले डालेंगे गगन तक ऊंचे झोटे खायेंगे सन्नाटे में इक दूजे की शांति सुनेंगे दीपावली पर इन्द्रधनुष बुलायेंगे तारों वाले दीप जलायेंगे फिर रात ओढ़ हम-तुम मुस्काएंगे तुम हो तैयार तो कहना मुझको हम तुम दोनों दूर चलेंगे सब शहरों से दूर, सब गाँवों से दूर.. - राहुल अभुआ 'ज़फर' (19-04-2021)

प्यार वाला मोड़ – हिंदी कहानी

हर दिन की शुरुवात की तरह आज भी निधि के घर में अफरा-तफ़री थी। माँ और निधि खाने की तैयारी में लगे हैं, पापा हर सुबह की तरह हारमोनियम लेकर अपने रियाज़ में लगे हुए मसरूफ हैं, आयुष को जल्दी काम से बाहर जाना है और प्रीती को कॉलेज के लिए देरी हो रही है। अरे निधि ये आयुष कहाँ है? उसको तो 9 बजे तक जाना था न? - माँ ने निधि से पूछा पीछे से आयुष अपने कमरे से बाहर आया ही था की उसे याद आया की वो कुछ सामन अंदर ही भूल गया है, वो वापस अंदर गया। निधि ने आयुष को आते हुए फिर वापस कमरे में जाते हुए देखा और माँ से कहा अरे मम्मी उन्हे..उन्हे तो सोने से फुर्सत कहाँ है, रात भर मूवी देखी है तो कहाँ जल्दी आँख खुलेगी भला निधि ने मजाहियाँ अंदाज में चुटकी लेते हुए कहा अंदर कमरे से झांकते हुए आयुष ने निधि की तरफ देखा और उसको आँख दिखाते हुए घूरने लगा, निधि ने अपनी हंसी रोकी और खाना पैक करने में लग गयी, तभी माँ ने भी कहा हां, हमेशा का है इसका, जब कुछ काम नहीं होगा तब इसकी हर चीज़ वक़्त से पहले हो जाती है और जिस दिन कुछ काम होता है तो ये लड़का हमेशा ऐसे ही देर करता है, भाई हमने तो बहुत झेल लिया अब तुम झेलो आयुष ...