हर दिन की शुरुवात की तरह आज भी निधि के घर में अफरा-तफ़री थी। माँ और निधि खाने की तैयारी में लगे हैं, पापा हर सुबह की तरह हारमोनियम लेकर अपने रियाज़ में लगे हुए मसरूफ हैं, आयुष को जल्दी काम से बाहर जाना है और प्रीती को कॉलेज के लिए देरी हो रही है।
अरे निधि ये आयुष कहाँ है? उसको तो 9 बजे तक जाना था न? - माँ ने निधि से पूछा
पीछे से आयुष अपने कमरे से बाहर आया ही था की उसे याद आया की वो कुछ सामन अंदर ही भूल गया है, वो वापस अंदर गया। निधि ने आयुष को आते हुए फिर वापस कमरे में जाते हुए देखा और माँ से कहा
अरे मम्मी उन्हे..उन्हे तो सोने से फुर्सत कहाँ है, रात भर मूवी देखी है तो कहाँ जल्दी आँख खुलेगी भला
निधि ने मजाहियाँ अंदाज में चुटकी लेते हुए कहा
अंदर कमरे से झांकते हुए आयुष ने निधि की तरफ देखा और उसको आँख दिखाते हुए घूरने लगा, निधि ने अपनी हंसी रोकी और खाना पैक करने में लग गयी, तभी माँ ने भी कहा
हां, हमेशा का है इसका, जब कुछ काम नहीं होगा तब इसकी हर चीज़ वक़्त से पहले हो जाती है और जिस दिन कुछ काम होता है तो ये लड़का हमेशा ऐसे ही देर करता है, भाई हमने तो बहुत झेल लिया अब तुम झेलो
आयुष अब भी दरवाजे के पास खड़ा सुन रहा था, निधि किसी तरह अपनी हंसी सम्भालती हुई माँ की हाँ में हाँ मिला रही थी और एक नज़र से आयुष को देख रही थी
बिल्कल सही कहा मम्मी आपने - निधि ने जवाब दिया
क्या सही बोला? अरे मम्मी तुम भी यार कुछ भी बोलती हो..ये तुम्हारी बहू बेवक़ूफ़ है बिल्कूल, मैं नहीं सोया? इसने सोने नहीं दिया
जैसे ही आयुष ने ये कहा माँ इधर-उधर देखने लगीं, निधि आयुष को आँखें दिखाते हुए चाकू से इशारे कर रही थी तभी आयुष ने बात संभालते हुए कहा
अरे मेरा मतलब रात को बेडरूम में खिड़की के पास एक कॉकरोच दिख गया इसे और जबतक मैंने वो कॉकरोच ढूंढकर भगा नहीं दिया मुझको परेशान करती रही ये और यहाँ मेरी शिकायत की जा रही है की मैं लेट हूं जबकि वजह खुद ये है
जैसे ही आयुष ने ये बोला उसने देखा की माँ उसे बड़े गौर से देख रही हैं और दूसरी तरफ निधि भी उसको घूर रही है उसने पहले तो माँ की तरफ देखा और फिर निधि की तरफ
क्या हुआ आप दोनों को?
तू ऐसे ही जायेगा? - माँ ने पूछा
हां, क्यों क्या हुआ? - माँ के सवाल पर आयुष ने जवाब दिया
माँ कुछ कहने ही वाली थी की निधि ने तभी कहा - हाँ हाँ बढिया....अच्छा तो है, वैरी गुड ' ये कहकर उसकी हंसी फूट पड़ी,
तभी माँ ने कहा
ऐसे जायेगा? शर्ट, सॉक्स, शूज और शॉर्ट्स में?
निधि और माँ दोनों हँसने लगे तभी आयुष को एहसास हुआ वो अभी भी शॉर्ट्स में है
अर्रे यार तुम दोनों मैं ये ही पूछने आया था की मेरी जीन्स कहाँ है...निधि, अरे भई बताओ कहाँ है जीन्स मैं लेट हो रहा हूं। दोनो बातें कर रहे हो मुझसे यूँ नहीं की मुझे बता दो कि मैं ऐसे ही खड़ा हूं
तभी प्रीती आयी और आयुष को ऐसे देखके बोली
Wow, नाईस लुक भैया, एक दम लल्लंटॉप
है न - निधि ने प्रीती से कहा
एक दम मस्त भाभी - प्रीती ने जवाब दिया
आयुष का फ़ोन बजा और वो अंदर चला गया, निधि, माँ और प्रीती अब भी अब भी आयुष पर हँस रहे हैं
मैं इन्हें सामान देकर आती हूँ मम्मी वरना ये फिर कुछ भूल जायेंगे और पूरा दिन परेशान रहेंगे
ये कहते हुए निधि अंदर कमरे में जाती है,
आयुष फ़ोन पर बात कर रहा है, निधि ने उसको अलमीरा से जीन्स निकालकर दी है और वहां बिखरा सामान ठीक करने में लग गयी है। आयुष तैयार हुआ और उसने अचानक निधि को पीछे से पकड़ लिया , निधि थोड़ा सा कसमसाई लेकिन आयुष ने उसे अभी भी अपनी बाहों में जकड़ा हुआ है और फिर जाते हुए आयुष निधि के कान में कहता है - 'अच्छी लग रही हो..आज शाम को तैयार रहना'
निधि ने इतना सुना ही था की वो बोली - आयुष...मुम्मी हैं बाहर, क्या तुम भी कभी भी रोमांटिक होने लगते हो, दरवाजा भी खुला हुआ है'
'ओ हो मेरी माँ पूरी बात तो खत्म होने दो..आज शाम को तैयार रहना बाहर चलेंगे...जल्दी जाउँगा मैं, तुम तैयार रहना..'
निधि ने आयुष की तरफ देखा और दोनो एक दूसरे को देख हंसने लगे तभी बाहर से माँ की आवाज़ आई
'हां मम्मी, आई'
आयुष ने टिफिन उठाया और काम के लिए निकल गया..
शाम हो चुकी है, निधि अभी रेडी हो रही है और आयुष बाहर उसका इंतज़ार कर रहा है।
आयुष ने कॉल किया तो निधि ने पिक नहीं किया, आयुष अंदर आया
'निधि क्या यार कितना टाइम लगा रही हो तुम..ओह्ह्..लुकिंग सो प्रीटी हां...जाने का प्लान कैंसल करे क्या'
आयुष ने निधि को देखते हुए कहा,
‘कुछ भी मत कहो आयुष तुम..’
निधि एक हलके गुलाबी रंग की साड़ी में थी, कानों में झुमके जो आयुष ही निधि के लिये शिमला से लेकर आया था
'कया ओह्होऊ, बस 2 मिनट और' निधि ने कहा
आयुष वहीं बैठ गया और निधि को देखने लगा,
‘क्या आयुष अब ऐसे क्यों देख रहे हो? एक तो रबर बैंड नहीं मिल रहा है'
'नहीं नहीं, 2 मिनट नहीं, यू टेक योर टाइम और रबर बैंड क्यूँ चहिये, बाल मत बाँधो न, ऐसे ही अच्छे लग रहे है।' - आयुष ने कहा
'कभी कहते हो बाल बांधा करो, अब कह रहे हो नहीं बाल खुले रहने दो, यू श्योर ऐसे ही रहने दूँ?'
‘हां बाबा..सच में, ये ऐसे ही अच्छे लग रहे है। वैसे एक बात कहूँ? - जाने का मन तो नहीं' - आयुष ने निधि के करीब आते हुए कहा
'हो गया? अब चलो' - निधि ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया
वो दोनों बाहर आये और गाडी में बैठे, आयुष ने निधि को उसके पसंदीदा गुलमोहर फूल दिए।
‘क्या बात है, आज अचानक से प्लान बन गया, फूल भी दिए जा रहे हैं, आख़िर बात क्या है आयुष?' - निधि ने आयुष को छेड़ते हुए पूछा
'जानता था तुम्हे याद नहीं होगा..खेर कोई नहीं..' - आयुष ने जवाब दिया और गाड़ी स्टार्ट की
‘क्या याद नहीं होगा? क्या मैं कुछ भूल रही हूँ? बताओ न आयुष'
आयुष ने कुछ भी जवाब नहीं दिया और गाने का वॉल्यूम बढ़ा कर बस गाडी ड्राइव करता रहा। निधि भी अपने दिमाग पर ज़ोर दे रही है और आयुष बस उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा रहा है। भीड़-भाड़ वाले रास्ते से होते हुए वो दोनों एक हाईवे पर पहुँचते हैं, थोड़ी दूर चलने के बाद आयुष गाडी साइड में रोक देता है। निधि को कुछ भी समझ नहीं आया
'ये जगह याद है निधि तुम्हे?'
आयुष ने निधि से पुछा तो निधि को कुछ याद नहीं आया लेकिन अपने मन में उसने शादी की डेट, प्रोपोज़ करने की डेट से लेकर जो कुछ भी हो सकता था वो सब याद करने की कोशिश तो की लेकिन काम नहीं बना
'ये वही जगह है जहाँ हमने पहली बार मिलकर हमारे बारे में बात की थी निधि, कैसे भूल सकती हो इस जगह को? ये देखो जब मैं दूसरी बार तुमसे मिलने आया था तो मैंने तुम्हे फोटो भी तो व्हात्सप्प की थी और तब भी तुमसे यही पुछा था। याद है कैसे मैं जो कितना काम बोला करता था उस दिन तुम्हारे पूछने के बाद सब अपनी दिल की बातें तुमसे कहने लगा था और तुमने कैसे मेरे डर को दूर किया था कि रिश्तों में चुनाव महत्वपूर्ण होता है। बातों बातों में जब मेरा पैर गलती से तुम्हे छू गया था तो तुम्हे लगा गाडी में कोई चूहा है और तुमने मुझे पहली बार बताया कि तुमको चूहों से इतना डर लगता है की तुम भाग जाती हो। उसके बाद हम कितना हंसे थे' - आयुष ने कहा
निधि ने आयुष को देखा और याद करते हुए बोली -
‘हां और उसके कुछ देर बाद एक पुलिस वाला भी आ गया था और सवाल जवाब करने लगा था की इतनी रात को हम इधर क्या कर रहे हैं, मैं तो डर गयी थी आयुष लेकिन तुमने अच्छे से बात की उससे, यू हेंडल्ड इट वैरी वेल... आई ऍम रियली हैप्पी की तुम्हे ये सब याद है, इवन ये एक्जैक्ट जगह भी, तुम कोई मौका नहीं छोड़ते मुझे इम्प्रेस करने का न..थिस इस व्हाई आई लव यू अलोट आयुष' - निधि ने कहा
‘अच्छा सिर्फ इसीलिए' - आयुष ने मजाक में निधि से पूछा
‘नहीं जी, मेरे पास हज़ारो रीजन्स हैं तुम्हे प्यार करने के समझे मिस्टर।' - निधि ने जवाब दिया
वो दोनों कार में बैठे उस जगह को देखते हुए काफी देर बात करते रहे। फिर वो गाड़ी से बाहर निकले, उसी जगह पर एक सेल्फी ली और आसमान के चाँद को देखने लगे।
वहीं थोड़ी दूरी पर एक बुजुर्ग औरत जिनका नाम 'गायत्री' है निधि और आयुष को बाते करते हुए आँखों में आंसू लिए बड़ी शालीनता से देख रही है, गायत्री भी आसमान में चाँद की तरफ देख रही है।
'तन्हा चाँद की अहमियत हर किसी के लिए अलग होती है'
- राहुल अभुआ © | किताब - मैं शून्य ही सही
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