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तुम तो मत बिको - लेख

पॉलिटिकल पार्टियों में इतना पलायन इधर से उधर हो रहा है, ये बिल्कुल ऐसा है जैसे कोई मौका-परस्त सरकारी 'प्रेमिका' जिसने शुरुवात में अपना 'हाथ काट' कर, 'नाक रगड़' कर आपसे रिश्ते में बने रहने के लिए रिलेशनशिप की भीख मांगी था, जिसके लिए तब 'अय्याशी' एक बुरी चीज हुआ करती थी आज समय ख़राब होने पर वो उस 'प्रेमी' को छोड़कर दूसरे पाले में घूम रही है क्योंकि सत्ता कुछ सालों तक उस पाले में रहने वाली है। 
ऐसा इस 'प्रेमिका' ने पिछले सभी 'प्रेमियों' के साथ किया और तब के प्रेमी और अब के प्रेमी सभी जानते हैं कि ये प्रेमिका कितनी 'महान' है लेकिन फिर भी इसे स्वीकार कर रहे हैं, इसकी पीछे की वजह 'शारीरिक' हो सकती है।

यहां कौन गलत कौन सही ये तो उनकी अपनी 'FREEDOM' है
सवाल यहां सिर्फ उन 'प्रेमियों' से हैं यानी 'जनता' से है, जो मौका-परस्त 'प्रेमिका' यानी 'नेता' आज इधर के और कल उधर के हैं, जिनके लिए सही या गलत उनकी सहूलियत के हिसाब से है तो समय है अब तुम 'प्रेमियों' यानी 'जनता' को जागने का। 

'रक्कासाओं' के पैरों में घुंघरू मत बांधो, इन्हे कोठे बदलने हैं पर तुम मत बिको। 

– आपका अपना देश।

#India 

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