मेरी रातें कैसी होती हैं?
हर बार तुम्ही से सुनता हूं
हर बार तुम्ही मुस्काती हो
मेरे हिस्से की बातों को
तुम मुस्कानो में दबाती हो
और फिर थोड़ा सा ठहर-ठहर
शरारत आंखों में लाती हो
फिर इक लंबी सी सांस खींचकर
धीमे से कह जाती हो –
‘तुम्हारी रातें सुकून भरी होती हैं’
फिर मैं उठता हूं बिस्तर से
चूम तुम्ही से कहता हूं
मेरी रातें कैसी होती हैं?
मेरी रातें कैसी होती हैं?
– राहुल अभुआ
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