नृत्य सिर्फ़ खुशी नहीं
नृत्य सिर्फ़ मनोरंजन नहीं
नृत्य सिर्फ़ क्रिया नहीं
नृत्य सिर्फ़ रूचि नहीं
ये कला है वो जो सब में है
बच्चे, बूढ़े हम सब में है
यूं हाथ उठाओ और बस घूमो
फिर पैर हिलाओ और बस झूमो
छोड़ शर्म हटाकर सब परदे
स्त्री नाची पृथ्वी घूमे
महाभाव नृत्य ही लाता है
हर्ष-ओ-उल्लास दिलाता है
शिव काली तांडव करते हैं
संसार को शून्य में बदलते हैं
गोकुल में कान्हा जब झूमे
महारास वो ही तो रचते हैं
नृत्य सिर्फ़ खुशी नहीं आनंद है
नृत्य सिर्फ़ मनोरंजन नहीं सृजन है
- राहुल अभुआ
#Nritya #Dance #Poetry #HindiKavita #Kavitaye
Comments
Post a Comment