’..अब हक़ तो नहीं मुझे लेकिन अब प्यार करते हो किसी से?’ – उसने पूछा
’हां.....' – जैसे ही मैंने जवाब दिया उसने मेरी तरफ नज़र उठाकर देखा,
मैंने बात पूरी की ’हां, रफ़ी साहब के गीतों से, ये गीत मेरी ख़ामोशी से बात करते हैं। तुम जानती हो जब मैं इन गीतों को रफ़ी साहब के साथ गुनगुनाता हूं तो ये मुझको कभी टोकते नहीं, खामियां नहीं निकालते, ये ख़ामोशी से मेरी बेसुरी आवाज़ को सुनते हैं.."
(लिखी जा रही एक कहानी का अंश)
साहब का जन्मदिन है आज, आपसे मुहब्बत है और आप ही मुहब्बत हैं, मिलना अक्सर सपनों में होता है और सुनना हर रोज़। आप यहीं आसपास हैं..
'..आप तो बस आप हैं आपका जवाब क्या' ❤️
#MohdRafi #RafiSahab
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