हम फिर मिलेंगे किसी जनम में
जब हम दोनो ही पक्षी होंगे
आसमान देखेंगे
उड़ने के सपने बुनेंगे
और साथ उड़ना सीख कर
खुले आसमान में चोंच लड़ाएंगे
हम फिर मिलेंगे किसी जनम में
जब हम दोनो ही पत्थर होंगे
कोई पारखी हमे जड़ेगा
किसी शाह की गुम्बद में
और हम देखेंगे तारीख़ के
हर प्रेमी जोड़े को हमे देख मुस्कुराते हुए
हम फिर मिलेंगे किसी जनम में
जब हम दोनो ही वृक्ष होंगे
प्रकृति की बाहों में
हर मौसम साथ खड़े होंगे
तुम पत्तियों से मुझको छू लेना
मैं जड़ों से तुमको थामूंगा
हो जनम कोई या जगह कोई
हम फिर मिलेंगे हर किसी जनम..
- राहुल अभुआ
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