हम फूलों को मार देते हैं
अपने प्रेमी से प्यार जताने के लिए
जब मनुष्य समझ जाएगा की
प्रेम फूलों को शाखों से जुदा करने में नहीं
उनकी महक ख़ुद में संजोकर
प्रेमी संग उन राहों में चलने का नाम है,
तो यकीनन हम प्रेम को समझने के
एक कदम और क़रीब आ जायेंगे..
- राहुल अभुआ
(किताब - मैं शून्य ही सही)
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