कहानियां गढ़ी जाने से मुझे अक्सर कोफ्त रही है, कहानियां बुनिए, बनाइये, उन्हें जीइये..जब जीने लगेंगे तो उन्हें गढ़ने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, कहना सीख जायेंगे..और कहना भी खुदसे सीखिए, खुद से कही गई कहानियों को दुनिया सुनना चाहती है। 🌻
- राहुल अभुआ
(किताब - मैं शून्य ही सही)
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