तुम मुस्कुराया करो
जब मुस्काते हो तो दिखता है तुममें
तुम्हारा वो बचपन
जो तुम छुपाये फिरते हो ज़माने से,
अकड़ूपन के पीछे का वो नटखट शैतान बच्चा
जिसके बारे में माँ ने मुझे बताया था।
मुस्कुराते हो तो एक शिशु लगते हो,
जैसे कोई बच्चा पहली बार रेल यात्रा पर निकला हो
और दोनों तरफ से गुज़रती पहाड़ियों
को देख एक सहज अनुभव कर रहा हो,
आंखों की शांति और चेहरे की मुस्कान
मुझे भी उस लंबी रेल यात्रा का आभास करवा जाती है।
- राहुल अभुआ 'ज़फर' | @rahulabhuaofficial
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