एक दिन हमारे ख़ुशहाल देश में बाहर से कुछ गोरे लफंगे आते हैं और कहते हैं की जैसे तुम लोग रह रहे हो तुम्हे जीना आता नहीं, कितनी गन्दगी है तुम्हारे इस देश में, अब हम सिखाएंगे तुम्हे कैसे रहना है, अब हम बताएँगे तुम्हे कैसे जीना है। वो पहले हमारे दोस्त बने और फिर हमपर राज किया।
जिन्हे मालूम नहीं था इसका जवाब कैसे देना है वो चुपचाप बैठे रहे और इसे जीवन का हिस्सा मान लिया लेकिन कुछ सालों बाद कुछ आज़ादी के मस्ताने आये और उन्होंने इन गोरी चमड़ी वाले काले लोगो को इनकी असली औकात दिखाई और बताया की गंद हमारे घर में नहीं तुम्हारी सोच में है। भगत सिंह जैसे लफ़ण्डर, बिस्मिल जैसे पागल और सुभाष जैसे न जाने कितने सरफिरों ने झुकने की बजाये उस बुरी शक्ति को अपने घर से बाहर करना चुना।
'जो हमको बतलाने निकले थे आज सलाम करते हैं
हिंदुस्तान हैं हम दबाओगे तो दुगनी ताकत से हिसाब करते हैं'
~ राहुल अभुआ 'ज़फर'
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