तुम इंसान कहना - राहुल अभुआ
वो हिन्दू कहें तुम रफ़ी कहना
वो कहेंगे मुस्लिम तुम अटल कहना
वो लाएँ गर मज़हब हमारे बीच
तुम इंसान कहना तुम इंसान कहना
ना बनो शहीद-ए-आज़म ग़म नहीं
पर इंसानियत हम में हो कम नहीं
गर गुलिस्ताँ बनाना चाहें वो इक रंग का
कहना हम 'हिन्द' हैं कोई मौका-परस्त नहीं
वो काफ़िर कहें तुम कलाम कहना
वो कहेंगे पापी तुम सलाम कहना
वो लाएँ ग़र मज़हब हमारे बीच
तुम इंसान कहना तुम इंसान कहना
तहज़ीब-ए-गंगा जमुना भुलानी हमें नहीं
कुर्बानी उन शहीदों की मिटनी हमें नहीं
सियासत के कुछ जमूरे आयेंगे तुम तलक
लौ-ए-वतन परस्ती हो हम में कम नहीं
वो सिंधु कहें तुम चिनाब कहना
वो कहेंगे देशद्रोही तुम इन्किलाब कहना
वो लाएँ गर मज़हब हमारे बीच
तुम इंसान कहना तुम इंसान कहना
तलवारें गर खिंचे तो घबराना तुम नहीं
इँसानियत का जज़्बा हो हम में कम नहीं
आयेंगे वो सिखाने तुमको वतन-ए-रंग
ले आना तुम तिरंगा हाथो में संग-संग
वो गोडसे कहें तुम उधम कहना
वो कहेंगे विराथु तुम बुद्ध कहना
वो लाएँ गर मज़हब हमारे बीच
तुम इंसान कहना तुम इंसान कहना..
- © राहुल अभुआ 'ज़फर'
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