तुम्हे सोने-हीरों का लालच न होता
अगर तुमने देखी होती पत्तियों पर बैठी ओस की वो बूँदें
वो पेड़ों के बीच से ढलते सूरज की जो किरणें आती हैं न
बस प्यार वहीं से उपजता है,
ये आशियाना संजो पाना
प्रकृति का मेरे चुप अल्फ़ाज़ों से बातें करना
मौसम की हल्की-सी ठण्डक के साथ वो प्यार वाले मौसम में जो एक अजीब-सी महक होती है ना,
जब आसपास का सबकुछ खुशनुमा लगने लगता है
और फूलों से अलग हुई वो पत्तियां गिरने के बाद भी खिलने लगें
बस प्यार वहीं से उपजता है..
- राहुल अभुआ 'ज़फर' ✍️ | @RahulAbhuaOfficial
Buy my poetry book 'MAIN SHOONYA HI SAHI' available on Amazon, Flipkart and Amazon Kindle. Order today.
#RahulAbhua #MainShoonyaHiSahi #MainShunyaHiSahi #HindiPoetry #Poetry #Kavita #HindiKavita #PoetryBook
Comments
Post a Comment