उसको समझ नहीं आया
तौहीनो पर भी क्यों चुप थे हम उसको समझ नहीं आया
हम रखते हैं मगरूरों को फ़र्श पर उसको समझ नहीं आया
अमां तेज़ उछालिये कीचड़ बात दूर तलक तो पहुंचे
क्या मिलेगा रोज़ सड़कों पे उतरकर उसको समझ नहीं आया
अना-ज़ाद* के तेज़ लहजे मंज़ूर कैसे करते
हम भी रखते हैं अना-परस्ती* उसको समझ नहीं आया
जिस्मानी नहीं मेरी रूह में बसना था सखी
मुझको समझना है कैसे उसको समझ नहीं आया
थम जाती है ये दुनिया उसके नज़र मिलाते ही मुझसे
मैं उसके इशारों को कैसे समझता उसको समझ नहीं आया
फिर वो रोता भी है और मिन्नतें भी करता है रह-रहकर
बुरी अदाकरी पकड़ लेता हूँ मैं उसको समझ नहीं आया
- राहुल अभुआ 'ज़फर'✍️
(अना-ज़ाद* - अहंवादी, Egoist
अना-परस्ती* - अभिमान, Pride)
आने वाली किताब "मैं शून्य ही सही" से कुछ अंश
Coming soon on Amazon, Flipkart and in Kindle version also.
#MainShunyaHiSahi #RahulAbhua #BFC #Zafar #RahulKaramchandAbhua #UskoSamjhNahinAaya
Comments
Post a Comment