इक रास्ता था बंजर कभी फिर वहां सड़क इक नयी बनी पहले उसमें कुछ दरारें पड़ी फिर वो दरारें बढ़ने लगीं सड़क को फर्क कुछ न पड़ा हर हर फ़न मौला यात्री उस सड़क की और मुड़ा बढ़ती दरारें जब गड्ढा बनीं गाड़ियां जो गुज़री अटकी कईं अब जब गड्ढा धीरे-धीरे बढ़ने लगा फिर गाड़ियों ने उससे बचना चुना अब सड़क बड़ी वीरान है यात्री कहां चुनते सुनसान हैं? – राहुल अभुआ – #loyalty #opportunists #cheating #toxic #redflag #status #quotes #wosadak #life #poetry