मैं कुछ नहीं तुम तो तोप हो, मैं बस इक सुराख़ हूं तुम तोप होगे! लेकिन मुझपर तुम्हारा ज़ोर नहीं और ना ही तुम्हारे उन बारूदी गोलों का जबतक मैं सुराख़ होकर वहां मौजूद हूं तबतक तुम सिर्फ और सिर्फ जंग खाओगे जंग में आजमाये तो नहीं जाओगे मैं कुछ नहीं तुम्हारे पिता मुझसों को नौकर रखते हैं, रखते होंगे! अहं रावण का डिगा, डिगा था कंस का पुराने पापी अक्सर खुदको 'अहं ब्रह्मसमि' समझकर सर्वश्रेष्ठ मानने लगते हैं, फिर एक लफंडर आता है काल बनकर जो ना डिगता है और ना डरता है तुम उसे लफ़ंगा कहते हो और संसार कृष्ण वो कृष्ण कुछ नहीं बस एक शून्य है..मात्र शून्य - राहुल अभुआ 'ज़फर' #MainKuchNahi #RahulAbhua #Poetry #HindiPoetry #HindiKavita #Kavita #MainShunyaHiSahi #poetries